गिव मी एनअदर चांस, आई वान्ना ग्रो उप वंस अगेन...
मुझे ये शब्द कुछ ज्यादा ही आकर्षित कर रहे हैं...शायद मेरी खोज यहीं ख़त्म हो गई या मुझे नई राह नजर आ गई है। सारी उम्र हम मर मर के जी लिए, कुछ पल तो अब हमें जीने दो...जीने दो...(जीना इसी का नाम है)
कुछ भी हो, ये साल कुछ ऐसे ही सही...
2 comments:
hume bhi bahut achchhi lagi hai ye lines nikhil ji.
hume bhi bahut achchhi lagi hai ye lines nikhil ji.
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