Friday, September 28, 2012

कि कोई दूसरा जहाँ भी होगा...

फोटो गूगल से साभार 

न मिली 
नींद भर जमीं, धूप भर 
आसमां न मिला 
खामोश रहे वो शायद  
कि कोई दूसरा जहाँ भी होगा....

न किये 
तकादे खुदा से, किस्मत से 
हिसाब न माँगा 
गम पी गए वो शायद
कि कोई दूसरा जहाँ भी होगा... 

न मांगी
सुबह खुशियों की, रातों से 
आस न मांगी 
पड़े रहे किनारों पे शायद 
कि कोई दूसरा जहाँ भी होगा

न देखे 
ख्वाब सोने के, तश्तरी 
चांदी की न चाही
पिघलते रहे वो भट्टों में शायद
कि कोई दूसरा जहाँ भी होगा 

जलते रहे 
ज़िन्दगी भर, तपिश से 
दूर न भागे, मौत भी 
आ गई लेकिन, खुदा से राख न मांगी 
शायद उन मजदूरों के लिए 
कोई दूसरा जहाँ भी होगा ....

Saturday, September 22, 2012

कुछ सवाल

गूगल से साभार 

क्यूँ हैं
ये मायूस सी गली 
गुमसुम सा चाँद
हांफती सड़क पे रेंगते निशान...

क्यूँ है
ये तड़पती सी हवा 
अनजान सी  सिरहन 
कोसते सफ़र पे बेजुबान धडकन...

क्यूँ हैं...
ये चीखते से जश्न  
दरकते से तख़्त 
सूखती नसों पे सिरफिरा वक़्त... 

क्यूँ हैं, 
ये उजड़ता सा लम्हा
खटकता सा अश्क 
हमारी चाहतों पे लिपटता रश्क... 

क्यूँ हैं,
ये उदास सा मौसम 
बदहवास सा दर्द 
चटखती ज़िन्दगी पे ये आहें सर्द....
Related Posts with Thumbnails