बजट आये दिन गुजर गए, कुछ लिखने का मन था पर सोचे हम कोई अर्थशाष्त्री तो हैं नहीं, सो काहें झंझट मोल लें। वही काम करें जिसपर कोई उंगरिया उठाये तो ऐंठ दें पकर के। बुरा मत मानिएगा। आप सबको आलोचना करने का संपूर्ण अधिकार है, लेकिन अचानक कुछ ख्याल आया है, सोच रहा हूँ लिख ही दूँ। रहा नहीं जा रहा है।
गरीबों पर भारत सरकार ने जो परोक्ष कर का भार डाला है, वो उज्जवल भविष्य की चकाचौंध में ज्यादातर लोगों को दिख नहीं रहा है। सब गरीबों के पेट की ३५ एमएम स्क्रीन पर ही जीडीपी की सुनहरी फिल्म देखने में मस्त हैं। सब रेबैन का ऐनक लगाए मस्त हैं। केहू का कौने गरीब के पेट की गुडगुडाहट नहीं न सुने दे रही है। तभी तो सब प्रणव दा की बड़ाई कर रहें हैं। हमहू कई लोगन से बतियाये इ बजट के बारे म। सब कहे बढ़िया है। टैक्स घटा दिए हैं। हमारे बड़े अधिकारी ने तो सबको मेल किया कि देखो क्या फरक आया है इनकम टैक्स में। सब खुश हो जाओ।
खैर, मुद्दे पर आता हूँ...और ये रहा छोटा सा मुद्दा...हम भी खुश, बड़ी बड़ी कम्पनियाँ खुश, प्रणव दा भी खुश, जनता भी खुश क्यूंकि मीडिया खुश। बूझो तो जानें...
बोलो, भारत सरकार की जय. गरीबी और गरीब, दोनों को एक साथ हटाने का उम्दा प्लान है प्रणव दादा का...न रहेंगे गरीब न रहेगी गरीबी...जिसके पास पेट भरने का नहीं है, वो मरे ससुरा. उका जिए का कौनौ हक़ नाहीं है. सबका ठेका थोड़े ही ली है हमारी, हमारे लिए और हमारे द्वारा बनाई गई सरकार।
जय हिंद। जय भारत।
गरीबों पर भारत सरकार ने जो परोक्ष कर का भार डाला है, वो उज्जवल भविष्य की चकाचौंध में ज्यादातर लोगों को दिख नहीं रहा है। सब गरीबों के पेट की ३५ एमएम स्क्रीन पर ही जीडीपी की सुनहरी फिल्म देखने में मस्त हैं। सब रेबैन का ऐनक लगाए मस्त हैं। केहू का कौने गरीब के पेट की गुडगुडाहट नहीं न सुने दे रही है। तभी तो सब प्रणव दा की बड़ाई कर रहें हैं। हमहू कई लोगन से बतियाये इ बजट के बारे म। सब कहे बढ़िया है। टैक्स घटा दिए हैं। हमारे बड़े अधिकारी ने तो सबको मेल किया कि देखो क्या फरक आया है इनकम टैक्स में। सब खुश हो जाओ।
खैर, मुद्दे पर आता हूँ...और ये रहा छोटा सा मुद्दा...हम भी खुश, बड़ी बड़ी कम्पनियाँ खुश, प्रणव दा भी खुश, जनता भी खुश क्यूंकि मीडिया खुश। बूझो तो जानें...
बोलो, भारत सरकार की जय. गरीबी और गरीब, दोनों को एक साथ हटाने का उम्दा प्लान है प्रणव दादा का...न रहेंगे गरीब न रहेगी गरीबी...जिसके पास पेट भरने का नहीं है, वो मरे ससुरा. उका जिए का कौनौ हक़ नाहीं है. सबका ठेका थोड़े ही ली है हमारी, हमारे लिए और हमारे द्वारा बनाई गई सरकार।
जय हिंद। जय भारत।
4 comments:
कुछ प्रमाणिक तथ्य नहीं दिये आपने अपने कथ्य के समर्थन में..आलेख अधूरा लगा.
माफ़ कीजिएगा सर, लेकिन इस बार मन नहीं था तथ्यों से भावनाओ को सजाने का. जो आँखों के सामने घट रहा है, उसके लिए भी तथ्यों की जरुरत क्यूँ पड़ती है, समझ नहीं आता. ये हर कोई जनता है की गरीब और गरीब होता जा रहा है और अमीर और अमीर होते जा रहे हैं.
वैसे कृपालु महाराज के आश्रम में जो हुआ, वो किसी तथ्य से कम नहीं है.
guru achcha likha hai.lekin doosron ki tereh down market topic samajhkar aise topic par likhna mat chodna.kam se kam aapne garibon ki baat to ki.
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