गूगल से साभार |
शून्य यानी
एक नयी श्रृष्टि
नया जन्म
नया जीवन
निराशा का अंत
उद्भव आशा का
फिर से,
जैस पतझड़ का अंत
शून्य यानी
गोधूलि
ब्रम्ह्बेला
जब कोई नहीं
सिर्फ प्रकृति है
चारों ओर अनंत
मंडराते अदृश्य
जैसे तूफानों का अंत
शून्य यानी
समाप्ति की ओर
एक विकल्प
और जन्मी नयी
विकल्प की भोर
घोर अंधकार पर
जैसे छिड़क दिए
परम शक्ति ने
अपने आदि रूप के
खूबसूरत रंग अनंत
2 comments:
अति सुन्दर रचना..
https://poetryblogger1.blogspot.com
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