Saturday, April 6, 2013

शून्य

गूगल से साभार 

शून्य यानी 
एक नयी श्रृष्टि 
नया जन्म 
नया जीवन
निराशा का अंत 
उद्भव आशा का 
फिर से, 
जैस पतझड़ का अंत 

शून्य यानी 
गोधूलि
ब्रम्ह्बेला 
जब कोई नहीं 
सिर्फ प्रकृति है 
चारों ओर अनंत  
मंडराते अदृश्य 
जैसे तूफानों का अंत 

शून्य यानी 
समाप्ति की ओर 
एक विकल्प 
और जन्मी नयी   
विकल्प की भोर 
घोर अंधकार पर 
जैसे छिड़क दिए 
परम शक्ति ने 
अपने आदि रूप के 
खूबसूरत रंग अनंत

2 comments:

Amrita Tanmay said...

अति सुन्दर रचना..

Pranti said...

https://poetryblogger1.blogspot.com

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