कहो तो पलकें झपकाऊं
मुकम्मल ख्वाब बन जाऊं
मोहब्बत के आसमां से
सितारे अश्क के लाऊं
सुनो तो दर्द कह जाऊं
या उधारी खुशियाँ ले आऊं
कहो तो पलकें झपकाऊं
मुकम्मल ख्वाब बन जाऊं
हजारों किस्से हैं कहने
कहाँ से लफ्ज़ मैं लाऊं
कहो तो नज़्म बन जाऊं
या बिखरे शब्द रह जाऊं
कहो तो खुदा से तेरे
वक़्त मांग मैं लाऊं
कहो तो पलकें झपकाऊं
मुकम्मल ख्वाब बन जाऊं
2 comments:
" कहो तो पलकें झपकाऊं
मुकम्मल ख्वाब बन जाऊं "
.....बेहतरीन जज़्बात !
वाह ..
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