Wednesday, December 15, 2010

कभी...

कभी, दिल कुछ भी सुनता नहीं,
जब है जरूरी तभी
तब रोता है फिर कभी...

कभी...ये सांस रुक जाएगी
गर वो जो खो जाएगी
तब होगी गम की ख़ुशी

ओ कभी, मिल जाएगी जिंदगी
जब आएगी हर ख़ुशी
तब होगा हर पल हसीं...

कभी...वो दिन भी आ जायेगा
जब सब सुधर जाएगा
तब दिल भी मिल जाएगा

कभी, मैं दिल को समझाऊंगा
बस कर भी दिल की लगी
चोट तुझको है कल लगी...

फिर कभी, मैं दिल से बतलाऊंगा
जल जाने दे मुझको भी
गर ऐसी है ज़िन्दगी...

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