Wednesday, November 25, 2009

किसे सबसे ज्यादा दर्द है...

कभी कभी मन में एक सवाल उठता है की इस दुनिया में सबसे ज्यादा दर्द किसे है। अपाहिज युवा को, बच्चों से हारे हुए एक बुजुर्ग को या किसी और को... दुनिया के हर कोने में गया, हर गरीब की आंखों में देखा और घर लौटते वक्त एक माँ से मिला। एहसास हो गया कि यही है वो जिसकी तलाश में मैं इधर उधर भटक रहा था। न जाने कितनों की आंखों में झाँका होगा मैंने पर वो दर्द नहीं दिखा जो उस माँ की आंखों में था। शुरुआत से अंत तक उसने सिर्फ़ दर्द ही तो सहे हैं...पहले बच्चे को ९ महीने कोख में रखा, उसे पला पोसा और दुनिया में अपना वजूद बनाना सिखाया और एक दिन उसी बच्चे ने कह दिया तुम तो गवांर हो...पति ने कह दिया कि तुमने मेरी ज़िन्दगी बरबाद कर दी...तुमसे शादी न की होती तो मैं चैन से रहता...माँ ने भी ख़ुद को कोसा...ख़ुद को मारा और आंसू बहाकर अगली सुबह फ़िर सबकी सेवा में जुट गई। बच्चे ने खाना नहीं खाया तो उसने भी खाना नहीं खाया...देर रात तक जगती रही की बच्चा पढ़ क्यों नहीं रहा है...पति क्यों नहीं आए....सास और ननद ने भी उसे फटकारा होगा...जिस बच्चे को चलना सिखाने के लिए उसने बिना थके मीलों का सफर तय किया होगा, आज उस बच्चे को माँ के साथ चलने में शर्म आती है...जिस बच्चे के लगातार एक ही सवाल पूछने पर माँ ने उसे गले से लगा लिया होगा वही बच्चा माँ के सवालों को सुनते भड़क उठता है...कहता है अपना काम करो... सुबह से लेकर रात तक उसने किचन में अच्छा खाना पकाने के लिए मेहनत की लेकिन पति ने कह दिया की तुम तो खाना बनाना ही भूल गई...उसकी ख़ुद की ख्वाहिशें बच्चों और पति तक सिमट कर रह गईं । उसे सबकी चिंता है पर उसकी चिंता किसे है...उसके बाल पकने लगें तो बच्चे कह देते हैं की अब तो तुम बूढी हो रही हो...उसकी एक अदद साड़ी की फरमाइश पति को बड़ी लगती है...वहीँ वो सबकी ख्वाहिशों को सीने से लगाती है...रोज़ दुत्कारी जाती है लेकिन ममता में जरा भी कमी नहीं दिखाती...किसे सबसे ज्यादा दर्द है...

कभी कभी हमें अपनी माँ की आंखों में उसकी ख्वाहिशें तलाशनी चाहिए...वो भी यही करती है...माँ का जरा सा ख्याल उसे ज़िन्दगी की तमाम खुशियाँ दे सकता है....क्योंकि वही दर्द बड़ा नहीं जो दिखता है...कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं जो ज़िन्दगी भर सालते रहते हैं...

4 comments:

Jyoti Verma said...

nikhil ji...
bas ankhein bhar aayi...kitini gahrai se likha hai apne, aap ne maa ko kitni achchhi tarah pahchana hai. aaj ke zamane me hum sab kuch bhoole jate hai, us maa ko jisne hume janm diya hai to hum kiske liye jee rahe hai. bahut sundar chitran kiya hai apne...
aur kya kahe....

Rajeysha said...

Jaa tan lagey wo tan jaane... aisi hai is dukh ki maya...

Jyoti Verma said...

Nikhil ji! sari duniya ek taraf maa ek taraf. sari duniya le lo maa de do hume, uska dukh hume de do.

Md Shadab said...

bahut badiya nikhil bhaiya co ed wale post ko padhne ke chakkar mein ye to chod hi diya par fir ek bar rula diya mere vichar bhi pade www.mdshadab.blogspot.com

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