फोटो गूगल से साभार |
जो कहते हैं
खुद को "झूठे"
सच का अनुगामी
कौन हैं वो
जो कैद हैं
कई "धाराओं" में
बनके अनुयायी
कौन हैं वो
जो देखते हैं
हर एक "इज्म" में
अपना प्रतिबिम्ब
कौन हैं वो
जो ठोकते हैं
हर "काल" में
अपनी बेसुरी ताल
कौन हैं वो
जो करते हैं
हर "कारिता" में
अद्भुत चाटुकारिता
कौन हैं वो
जो करते हैं
हर रोज़ क़त्ल
किसी ख्वाब का
और कौन हैं वो
जो समर्थ हैं
पर मौन हैं, बंद
डर के दरवाजों में
कौन हैं वो
जो लिखते हैं
दर्द, प्यास, भूख से
आच्छादित आकाश में...
---निखिल श्रीवास्तव---
No comments:
Post a Comment