खो गया था दुनिया के झंझावातों में आइना देखता हूँ, पर खुद की तलाश है, मुसाफिर हूँ. ये अनकही खुली किताब है मेरी... हर पल नया सीखने की चाहत में मुसाफिर हूँ.. जिंदगी का रहस्य जानकर कुछ कहने की खातिर अनंत राह पर चला मैं मुसाफिर हूँ... राह में जो कुछ मिला उसे समेटता मुसाफिर हूँ... ग़मों को सहेजता, खुशियों को बांटता आवारा, अल्हड़, दीवाना, पागल सा मुसाफिर हूँ... खुशियों को अपना बनाने को बेक़रार इक मुसाफिर हूँ... उस ईश्वर, अल्लाह, मसीहा को खोजता मैं मुसाफिर हूँ...
Monday, October 31, 2011
Friday, October 21, 2011
सीधे दिल से...
कहो तो पलकें झपकाऊं
मुकम्मल ख्वाब बन जाऊं
मोहब्बत के आसमां से
सितारे अश्क के लाऊं
सुनो तो दर्द कह जाऊं
या उधारी खुशियाँ ले आऊं
कहो तो पलकें झपकाऊं
मुकम्मल ख्वाब बन जाऊं
हजारों किस्से हैं कहने
कहाँ से लफ्ज़ मैं लाऊं
कहो तो नज़्म बन जाऊं
या बिखरे शब्द रह जाऊं
कहो तो खुदा से तेरे
वक़्त मांग मैं लाऊं
कहो तो पलकें झपकाऊं
मुकम्मल ख्वाब बन जाऊं
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