Sunday, January 11, 2009

अ जर्नी टु हेप्पीनेस


ये नया साल मेरे लिए किसी पुराने साल की ही तरह है। हाँ, हर बार थोड़ा देर से लिखता था इस बार कुछ ज्यादा ही व्यस्तताएं रहीं। वक्त भाग रहा था, हम भी इसे पकड़ने की कोशिश में अपनी रफ्तार बढ़ा रहे थे। देर कर दी। सोचा था पहली तारीख को ही कलम तोड़ दूंगा। पर ये मानव स्वभाव मुझ पर भी हावी है। आलस की कोई सीमा नही है। कभी विचारों को एक रूपता न दे पाने की वजह से नही लिखा तो कभी सोच क्यों न कोई अच्छा विचार आए तो इस नए साल की शुरुआत करूँ। बहरहाल, नए साल में मैं कूद पड़ा हूँ नई उमंग और ख़ुद से किए कुछ नए वादों के साथ। आज कल काफी कुछ करने का मन करता है। रोज नए क्रिएटिव विचार खदबदाते हैं। सोचता हूँ दुनिया में अपना भी एक मुकाम होगा। वो भी मुकम्मल। फ़िर ये मुकाम यूँ ही तो हासिल होगा नहीं। सोच रहा हूँ क्यों न अपनी जरूरतों को भूल कर अपनी मेहनत को दूसरी दिशा दूँ। कभी कैट क्वालीफाई करने का ख्याल आता है तो कभी कुछ और करने का। जानते हैं क्यों। क्युकी मुझे खुशियों की तलाश है। काफी कुछ कर रहा हूँ , कुछ शुरू करने की भी सोच रहा हूँ। फ़िर पीछे मुड़कर देखता हूँ तो मन करता है कि अगर कुछ बन गया तो मैं भी एक बुक लिखूंगा। नाम रखूँगा अ जर्नी टु हेप्पीनेस।ऐसा ही कुछ सोच रहा था कि एक मूवी देखने को मिली। उसका नाम भी मेरी होने वाली किताब के नाम से मिलता जुलता था। सोचा क्यों न देखी जाए। हो सकता है अपने मतलब की हो। बस देख डाली। देख कर उठा तो काफी देर तक कुछ सोच नहीं पाया। शायद उस मूवी का हेंग ओवर उतरा नहीं था। फ़िर सोचता हूँ कि अभी तो काफी तय करना है। बड़ा कोई यूँ ही नही बन जाता। मैं तो फ़िर भी बहुत खुश हूँ। मुझे टुकडों में दुःख मिले हैं उस इंसान को एक साथ सब झेलना पड़ा। लेकिन रिस्कतो लेना ही पड़ेगा। शायद तभी मेरी किताब को टर्निंग पॉइंट मिले। फ़िर अभीतक जितना समेट है उसमे सिर्फ़ और सिर्फआंसुओं का रस ही तो है। इंतज़ार और सही लेकिन वादा रहा हम भी कुछ करेंगे..मेरी आत्मकथा क्जरुर पढिएगा। तब तक के लिए काफी कुछ लिखना है, काफी कुछ पढ़ना है। रोना है, हसना है और एहसासों को जिन्दा रखना है...

4 comments:

rashi said...

heyy..it was really nice to read ur post...I'm so happy that you've finally stopped luking at only the dark side of ur experiences...I'm sure that life has a million pleasant surprises and experiences for u in store...take care...all the best for everything u do...
...and...waiting to read ur book... :-)

Anonymous said...

dear nikhil.....

first of all i would like to say all the very best for ur book and definitely everyone will read that for sure bcoz u write so beautifully....and plzz give me that movie coz if u'r saying it to be wonderful then undoubtedly it would surely be...
n may god fulfill all the desires u have in ur life....

Pratibha Katiyar said...

very good nikhil, keep writing. mere liye apni book ki copy autograph wali abhi se book kar lo.
All the best...

swati said...

ya i have seen that movie...but then in reality even if u find it it doesn't lat long..in the ned u have only written "kabhi hasna hai....kabhi rona hai..."

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