ऐ भारतवासियों...
देखो, आज फिर तुम आजाद हो,
सड़क पर बेपरवाह थूकने के लिए,
तुम आजाद हो,
अपने मजबूत बाजुओं से भीख मांगने के लिए,
तुम आजाद हो,
किसी राहगीर महिला पर नजर डालने के लिए,
तुम आजाद हो,
हर गरीब को गिराने के लिए
और तुम आजाद हो,
मां को गाली बनाने के लिए
तुम बिल्कुल आजाद हो,
गांधी, नेहरू, सुभाष और भगत को धिक्कारने के लिए
तुम आजाद हो,
जाति और धर्म पर बंगले बनाने के लिए
तुम आजाद हो,
मंदिर, मस्जिद और गुरद्वारे के नाम पर खून बहाने के लिए,
तुम आजाद हो,
ईश्वर और अल्लाह को खूनी बनाने के लिए
तुम तो आजाद हो,
एक विनाशकारी सोच के लिए मरने और मारने के लिए
तुम आजाद हो,
अपने वतन को सड़ा-गला बतलाने के लिए
फिर भी तुम आजाद हो
भारतमां की औलाद कहलाने के लिए
और सियासतदां आजाद हैं,
भूखे आवाम को वादों की रोटी खिलाने के लिए
वो आजाद हैं,
जति-जनगणना से जनता की प्यास बुझााने के लिए
वो आजाद हैं,
दलित को दलित बनाने के लिए
और तुम आजाद हो
चंद वारों से टूट जाने के लिए
जरा सोचो,
तुम यूं भी तो आजाद हो,
अपने नाम से जाति हटाने के लिए
तुम यूं भी तो आजाद हो,
इस मुल्क में भारत बसाने के लिए
तुम यूं भी तो आजाद हो,
इसे खूबसूरत स्वर्ग बनाने के लिए,
तुम यूं भी तो आजाद हो,
वेंटिलेटर पर पड़ी आजादी को फिर से जिलाने के लिए
और तुम आजाद हो,
भारत को ब्रह्माण्ड नायक बनाने के लिए
मैं भी आजाद हूं,
यूं ही सिरफिरों सा बड़बड़ाने के लिए
समझो तो बढ़ो आगे
इस आजादी को मुकम्मल बनाने के लिए।
इस आजादी को मुकम्मल बनाने के लिए।।
3 comments:
isse jyada or isse gahra kuch nahi kaha ja sakta ........aapki kalam andar tak hilane mein samarth hai .
good massage
sundar abhvyakti! ha hum azad hai sab kuch karne ke liye...
siway shanti aur sauharday ke rahne ke liye............
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