फोटो गूगल से साभार
वो देता गुमशुदा यादें/
मैं कलम में जस्ब कर लेता//
वो सिरहाने तनहाइयाँ रख जाता/
मैं पुरवाइयों में बहा देता//
वो दिन में बेचता सपने/
मैं उम्मीदें भी चुरा लेता//
वो अँधेरे बेपनाह देता/
मैं उन्हें रौशनी से रंग देता//
वो छीन लेता नींद रातों की/
मैं किताबों से दोस्ती कर लेता//
वो बदलता रास्ता खुशियों का/
मैं उनका सफ़र खुद
तय करता//
वो देता मुझको बेबसी/
मैं खुदी का क़त्ल
कर लेता//
वो दिल में दर्द
रख देता/
मैं दिल से मुंह
चुरा लेता//
वो मुझको तोड़ता
रहता/
मैं दिनबदिन बनता
ही जाता//
खुदा कहते हैं गर तुझको/
हम भी मुकद्दर के सिकंदर हैं//
खुदाई तेरी देख ली मैंने/
वादा है,
जब मिलेंगे
हम भी सवाल
पूछेंगे//
-----निखिल श्रीवास्तव-----